हम आपको पहले बता चुके है कि कुण्डली में जिस भाव से योग बन रहा हो उन्हीं भावों का फ़ल मुख्य तौर पर प्रभावित होता है। जीवन मे होने वाले सभी कष्टों के लिये काल सर्प योग को ही कारण मान लेना भूल हो सकती है। आज हम आपको दूसरे प्रमुख कालसर्प योग के बारे मे विस्तार से बताने जा रहे है। ध्यान रहे जब कुण्डली के दूसरे भाव मे राहु और अष्टम भाव मे केतु स्थित हो तो बनने वाला योग कुलिक कालसर्प योग कहलाता है।
जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव से कुटुंब, वाणी, विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत, स्त्री की मृत्यु, कला, सुख, गला, कान, मृत्यु का कारण एवं राष्ट्रीय विचार में राजस्व, जनसाधारण की आर्थिक दशा, आयात एवं वाणिज्य-व्यवसाय आदि के बारे में जाना जा सकता है। इस भाव से कैद यानी राजदंड भी देखा जाता है। जबकि अष्टम भाव से मृत्यु, आयु, मृत्यु का कारण, स्त्री धन, गुप्त धन, उत्तराधिकारी, स्वयं द्वारा अर्जित मकान, जातक की स्थिति, वियोग, दुर्घटना, सजा, लांछन आदि का विचार किया जाता है।
अत: कह सकते है कि यदि कुण्डली मे कुलिक कालसर्प योग प्रभावी तौर पर लागू हो रहा हो तो निम्न क्षेत्रो से सम्बन्धित फ़ल प्रभावित होसकते है।
उपाय: - कुण्डली का भलिभान्ति अवलोकन कराने के बाद जब निश्चित हो जाय कि आपकी कुण्डली काल सर्प योग से ग्रसित है और आपको परेशानियों का सामना करना पड रहा है तो सरल समाधान के तौर पर इन उपायों को श्रध्दा विश्वास से करने पर निश्चित रूप से लाभ होता है।
* चांदी के आभूषण धारण करें।
* मां सरस्वती जी की उपासना करें
* चन्दन और केसर युक्त तिलक लगाये।
* बुधवार को बहते पानी मे कच्चा कोयला महीने मे कम से कम एक बार प्रवाहित करें।
* चान्दी के नाग-नागिन का जोडा बनाकर शिवलिंग या बहते पानी में विशेष मुहूर्त पर प्रवाहित करें।
* प्रतिदिन स्नानोपरांत नवनागस्तोत्रा का पाठ करें।
* श्रावण मास में नित्य भगवान शिव का अभिषेक करे
* कालसर्पदोष निवारक यंत्रा घर में स्थापित करके उसका नियमित पूजन करें।
* राहु की दशा आने पर प्रतिदिन एक माला राहु मंत्रा का जाप करें और जब जाप की संख्या 18 हजार हो जाये तो राहु की मुख्य समिधा दुर्वा से पूर्णाहुति हवन कराएं और किसी गरीब को उड़द व नीले वस्त्रा का दान करें।
डॉ वेद प्रकाश |
जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव से कुटुंब, वाणी, विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत, स्त्री की मृत्यु, कला, सुख, गला, कान, मृत्यु का कारण एवं राष्ट्रीय विचार में राजस्व, जनसाधारण की आर्थिक दशा, आयात एवं वाणिज्य-व्यवसाय आदि के बारे में जाना जा सकता है। इस भाव से कैद यानी राजदंड भी देखा जाता है। जबकि अष्टम भाव से मृत्यु, आयु, मृत्यु का कारण, स्त्री धन, गुप्त धन, उत्तराधिकारी, स्वयं द्वारा अर्जित मकान, जातक की स्थिति, वियोग, दुर्घटना, सजा, लांछन आदि का विचार किया जाता है।
अत: कह सकते है कि यदि कुण्डली मे कुलिक कालसर्प योग प्रभावी तौर पर लागू हो रहा हो तो निम्न क्षेत्रो से सम्बन्धित फ़ल प्रभावित होसकते है।
उपाय: - कुण्डली का भलिभान्ति अवलोकन कराने के बाद जब निश्चित हो जाय कि आपकी कुण्डली काल सर्प योग से ग्रसित है और आपको परेशानियों का सामना करना पड रहा है तो सरल समाधान के तौर पर इन उपायों को श्रध्दा विश्वास से करने पर निश्चित रूप से लाभ होता है।
* चांदी के आभूषण धारण करें।
* मां सरस्वती जी की उपासना करें
* चन्दन और केसर युक्त तिलक लगाये।
* बुधवार को बहते पानी मे कच्चा कोयला महीने मे कम से कम एक बार प्रवाहित करें।
* चान्दी के नाग-नागिन का जोडा बनाकर शिवलिंग या बहते पानी में विशेष मुहूर्त पर प्रवाहित करें।
* प्रतिदिन स्नानोपरांत नवनागस्तोत्रा का पाठ करें।
* श्रावण मास में नित्य भगवान शिव का अभिषेक करे
* कालसर्पदोष निवारक यंत्रा घर में स्थापित करके उसका नियमित पूजन करें।
* राहु की दशा आने पर प्रतिदिन एक माला राहु मंत्रा का जाप करें और जब जाप की संख्या 18 हजार हो जाये तो राहु की मुख्य समिधा दुर्वा से पूर्णाहुति हवन कराएं और किसी गरीब को उड़द व नीले वस्त्रा का दान करें।
1 comments :
Very Well Written . Thank You Panditjee
Amit lamba
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