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Friday, 6 November 2015

धन-वैभव का पर्व धन त्रयोदशी



             ऐसा माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वन्तरि जी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। कहते हैं जब धन्वन्तरी जी प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। क्योंकि भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। शायद इसी लिये लोग इस दिन कीमती धातु खरीदना भी शुभ मानते है और सोने चान्दी के सिक्के आदि खरीदते है। 
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             इसके अलावा किसान आदि लोग इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। और दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। दीपावली के दो दिन पहले से ही याने कि धनतेरस से ही घर की साज सज्जा शुरु हो जाती है लोग घरो को दुल्हन की तरह सजाते है रंग बिरगी लाइटे और दीपामालाएं सजा कर त्योहार की शुरुआत करते है।
              इस दिन सर्वप्रथम प्रात: काल नहाकर साफ वस्त्र धारण करके पूजन सामग्री की व्यव्स्था की जानी चाहिये। और भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या चित्र पूजा मण्डप मे रखकर सपरिवार पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं। उसके बाद अपने ईष्ट देवता का ध्यान करते हुये भगवान धन्वन्तरि का आह्वान निम्न मंत्र से करना चाहिये। -
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

                इसके पश्चात पूजन स्थल पर आसन देने के लिए चावल चढ़ाएं। इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवैद्य लगाएं। (अगर चांदी का पात्र न हो तो अन्य पात्र में भी नैवेद्य लगा सकते हैं।) उसके बाद पुन: आचमन के लिए जल छोड़े। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें। खास बात ये है कि यदि स्वास्थ्य सम्बन्धि परेशानी चल रही हो तो रोगनाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें:-
मन्त्र :-  ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।

इसके अलावा स्थिर लक्ष्मी और कुबेर की पूजा भी साथ -साथ करना ना भूंले। सन्ध्या के समय यम के नाम से दीप दान का विशेष महत्व है। पूजन करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करें- इस मंत्र का जाप करने से भगवन धनवन्तरी बहुत खुश होते हैं, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।


DR. VED PRAKASH DHYANI

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