Pages

Subscribe:

Tuesday 12 May 2015

काल सर्प दोष के प्रमुख प्रकार और सरल उपाय

काल सर्प दोष और भ्रान्ति के बारे में हम पहले भी बता चुके हैं। आज हम काल सर्प दोष के प्रमुख प्रकारों के बारे में बता रहे हैं। सबसे पहले आपके ये बाता दें कि काल सर्प दोष प्रमुख तौर पर बारह प्रकार का होता है जो निम्न प्रकार से हैं।

1- अनंत कालसर्प योग।
2- कुलिक कालसर्प योग।
3- वासुकि कालसर्प योग।
4- शंखपाल कालसर्प योग।
5- पद्म कालसर्प योग।
6- महापद्म कालसर्प योग।
7- तक्षक कालसर्प योग।
8- कर्कोटक कालसर्प योग।
9- शंखनाद कालसर्प योग।
10-पातक कालसर्प योग।
11- विषाक्त कालसर्प योग।
12- शेषनाग कालसर्प योग।


                सबसे पहले ये जान लें कि कुण्डली में जिस भाव से योग बन रहा हो उन्हीं भावों का फ़ल मुख्य तौर पर प्रभावित होगा। जीवन मे होने वाले सभी कष्टों के लिये काल सर्प योग को ही कारण मान लेना भूल हो सकती है। सबसे पहले हम प्रथम भाव से सप्तम भाव में बनने वाले काल सर्प योग के बारे मे बताते हैं। यदि लग्न भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु ग्रह उपस्थित हो तो अनन्त नामक काल सर्प योग बनता है।
             
              प्रथम भाव से हमें शारीरिक आकृति, स्वभाव, वर्ण चिन्ह, व्यक्तित्व, चरित्र, मुख, गुण व अवगुण, प्रारंभिक जीवन विचार, यश, सुख-दुख, नेतृत्व शक्ति, व्यक्तित्व, मुख का ऊपरी भाग, जीवन के संबंध में जानकारी मिलती है। जबकि सप्तम भाव से स्त्री से संबंधित, विवाह, सेक्स, पति-पत्नी, वाणिज्य, क्रय-विक्रय, व्यवहार, साझेदारी, मूत्राशय, सार्वजनिक, गुप्त रोग, राष्ट्रीय नैतिकता, वैदेशिक संबंध, युद्ध आदि का विचार किया जाता है। इसे मारक भाव भी कहते हैं। अत: स्पष्ट है कि प्रभावी काल सर्प योग निम्न क्षेत्रो से सम्बन्धित फ़ल को प्रभावित कर सकता है।

उपाय: -  कुण्डली का भलिभान्ति अवलोकन कराने के बाद जब निश्चित हो जाय कि आपकी कुण्डली काल सर्प योग से ग्रसित है और आपको परेशानियों का सामना करना पड रहा है तो सरल समाधान के तौर पर इन उपायों को श्रध्दा विश्वास से करने पर निश्चित रूप से लाभ होता है।

1- भगवान शिव के किसी भी सरल मन्त्र जिसका आप उच्चारण भलि भान्ति कर सकें उसका जाप निरन्तर करें। और समय -समय पर उसका दशांस हवन भी करायें।

2- चान्दी के नाग-नागिन का जोडा बनाकर शिवलिंग या बहते पानी में विशेष मुहूर्त पर प्रवाहित करें।

3- सूर्योदय के बाद तांबे के पात्र में गेहूं, गुड़, भर कर बहते जल में प्रवाह करें।

4- समय-समय पर गरीबो को कुछ ना कुछ दान करते रहे।

5- कालसर्पदोष निवारक यंत्रा घर में स्थापित करके उसका नियमित पूजन करें।

6- राहु की दशा आने पर प्रतिदिन एक माला राहु मंत्रा का जाप करें और जब जाप की संख्या 18 हजार हो जाये तो राहु की मुख्य समिधा दुर्वा से पूर्णाहुति हवन कराएं और किसी गरीब को उड़द व नीले वस्त्रा का दान करें।

7- प्रतिदिन स्नानोपरांत नवनागस्तोत्रा का पाठ करें।

8- श्रावण मास में नित्य भगवान शिव का अभिषेक करे

9- शनिवार का व्रत रखते हुए हर शनिवार को शनि व राहु की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल में अपना मुंह देखकर उसे शनि मंदिर में समर्पित करें।  

1 comments :

Gemstone said...

Thansk you for the Excellent Upayas.

Amit lamba

Post a Comment